टेक्नोलॉजी और समय के साथ सभी चीजों में सुधार आता है, चाहे वह एक मोबाइल फोन हो या फिर कार। अगर हम हाल के सोलर पैनल की बात करें तो उसमें एनर्जी स्टोरेज एक बड़ी समस्या है।
समस्या यह है कि हमें एनर्जी स्टोर करने के लिए बैटरी की आवश्यकता है, और बैटरी की समस्या है कि इसे इस्तेमाल न करने पर भी यह खुद से डिस्चार्ज होती है और इसे ट्रांसपोर्ट करना आसान नहीं है।
इन दोनों ही समस्याओं का समाधान है हाइड्रोजन सोलर पैनल। आज इस पोस्ट में हम बात करेंगे हाइड्रोजन सोलर पैनल क्या है, कैसे काम करता है, क्या आप इसे बिजनेस या घरों में लगा सकते हैं, इसकी कीमत क्या है और भी बहुत कुछ।
बहुत सारे लोगों को लगता है की सोलर पेनल्स को आप जितनी कड़क धूप में रखेंगे, वह उतने ही अच्छे से ज्यादा एनर्जी का उत्पादन करेगा। लेकिन यह बात पूर्णता सत्य नहीं है। ट्रेडिशनल सोलर पैनल पर जैसे जैसे ही गर्मी को अब्जॉर्ब करता है, उसका खुद का तापमान भी बड़ जाता है, जिसके कारण उसकी ऊर्जा निर्माण की क्षमता कम हो जाती है।
हाइड्रोजन सोलर पैनल की निचली सतह पर कुछ पाइप लगे होते हैं जो की वायुमंडल में पहले से मौजूद वाटर वेपर को खींच उसमें से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अलग कर देते हैं।
अब इस हाइड्रोजन को हाइड्रोजन सिलेंडर में जमा कर, जरूरत के अनुसार हम इसे इस्तेमाल कर सकते हैं।
फिलहाल, निजी तौर पर हाइड्रोजन सोलर सिस्टम लगाना काफी महंगा पड़ेगा और इसलिए इसका इस्तेमाल उद्योगिग क्षेत्र में हो रहा है| हलाकि इंडिया ब्रीफ़िंग के अनुसार, भारत सरकार वर्ष २०७० तब कार्बन एमिशन शून्य करने के लिए प्रतिबद है, और वह ५०० GW ऊर्जा रिन्यूअल सोर्सेज से उत्पन करेगी. इसके लिए सरकार का US$2.37 billion का बजट है|
एक ऑफ ग्रीड हाइड्रोजन सोलर सिस्टम लगाने के लिए हमें हाइड्रोजन सोलर पैनल, इलेक्ट्रोलाइजर, स्टोरेज टैंक, फ्यूल सेल और इन्वर्टर की जरूरत पड़ेगी।
आप ऊपर दिए गए चित्र से समझ सकते हैं की सोलर पैनल की पावर का उपयोग करके इलेक्ट्रोलाइजर पानी में से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अलग कर हाइड्रोजन को एक टैंक में स्टोर कर देगा। इसी हाइड्रोजन को इस्तेमाल कर फ्यूल सेल चार्ज होंगे। और इनवर्टर की मदद से हम इस ऊर्जा को इस्तेमाल कर अपने घर के उपकरणों को चला सकते हैं।
भारतीय मार्किट में अभी तक हाइड्रोजन सोलर पैनल की सही कीमत बताने वाला कोई विश्वसनीय सोर्स नहीं है। हालांकि काफी सारे YouTubers का कहना है कि इसकी कीमत रु 3 से 6 लाख के बीच में है। जो कि समय और तकनीक के साथ धीरे-धीरे कम हो जाएगी।
समस्या यह है कि हमें एनर्जी स्टोर करने के लिए बैटरी की आवश्यकता है, और बैटरी की समस्या है कि इसे इस्तेमाल न करने पर भी यह खुद से डिस्चार्ज होती है और इसे ट्रांसपोर्ट करना आसान नहीं है।
इन दोनों ही समस्याओं का समाधान है हाइड्रोजन सोलर पैनल। आज इस पोस्ट में हम बात करेंगे हाइड्रोजन सोलर पैनल क्या है, कैसे काम करता है, क्या आप इसे बिजनेस या घरों में लगा सकते हैं, इसकी कीमत क्या है और भी बहुत कुछ।
बहुत सारे लोगों को लगता है की सोलर पेनल्स को आप जितनी कड़क धूप में रखेंगे, वह उतने ही अच्छे से ज्यादा एनर्जी का उत्पादन करेगा। लेकिन यह बात पूर्णता सत्य नहीं है। ट्रेडिशनल सोलर पैनल पर जैसे जैसे ही गर्मी को अब्जॉर्ब करता है, उसका खुद का तापमान भी बड़ जाता है, जिसके कारण उसकी ऊर्जा निर्माण की क्षमता कम हो जाती है।
हाइड्रोजन सोलर पैनल क्या है?
हाइड्रोजन सोलर पैनल एक विशेष रूप से बनाया गया सोलर पैनल है जो की आर्टिफिशियल फोटोसिंथेसिस प्रोसेस का इस्तेमाल कर डायरेक्ट सनलाइट और वाटर वेपर की मदद से फोटोहैड्रोजन बनाता है| यह फोटोक्टालिटिक वाटर स्प्लिटिंग तकनीक का इस्तेमाल कर हाईड्रोजन को पानी से अलग कर देता है।हाइड्रोजन सोलर पैनल की निचली सतह पर कुछ पाइप लगे होते हैं जो की वायुमंडल में पहले से मौजूद वाटर वेपर को खींच उसमें से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अलग कर देते हैं।
अब इस हाइड्रोजन को हाइड्रोजन सिलेंडर में जमा कर, जरूरत के अनुसार हम इसे इस्तेमाल कर सकते हैं।
हाइड्रोजन सोलर पैनल के फायदे
- हाइड्रोजन को आसानी से सिलेंडर में कंप्रेस करके स्टोर किया जा सकता है।
- वातावरण पर इसका कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होता है। ग्रीन हाइड्रोजन को सबसे स्वच्छ हाइड्रोजन माना जाता है।
- आसान स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन के कारण आप हाइड्रोजन जनरेट कर अच्छे पैसे कमा सकते हैं।
- हाइड्रोजन को कुछ कंपाउंड से आप मिक्स करके आप उसे नेचुरल गैस की तरह भी उसे कर सकते हैं।
सोलर हाइड्रोजन सिस्टम
ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन करने के लिए इलेक्ट्रोलिसिस का इस्तेमाल करना पड़ता है , जिसमे कि अच्छी खासी ऊर्जा की जरूरत होती है वॉटर मोलेक्युल्स (हाइड्रोजन एवम ऑक्सीजन) को अलग करने के लिए। इस ग्रीन एनर्जी तभी कहा जाएगा जब खर्च होने वाली ऊर्जा एक रिन्यूएबल सोर्स लिया गया हो, जैसे की हवा या पानी।फिलहाल, निजी तौर पर हाइड्रोजन सोलर सिस्टम लगाना काफी महंगा पड़ेगा और इसलिए इसका इस्तेमाल उद्योगिग क्षेत्र में हो रहा है| हलाकि इंडिया ब्रीफ़िंग के अनुसार, भारत सरकार वर्ष २०७० तब कार्बन एमिशन शून्य करने के लिए प्रतिबद है, और वह ५०० GW ऊर्जा रिन्यूअल सोर्सेज से उत्पन करेगी. इसके लिए सरकार का US$2.37 billion का बजट है|
एक ऑफ ग्रीड हाइड्रोजन सोलर सिस्टम लगाने के लिए हमें हाइड्रोजन सोलर पैनल, इलेक्ट्रोलाइजर, स्टोरेज टैंक, फ्यूल सेल और इन्वर्टर की जरूरत पड़ेगी।
आप ऊपर दिए गए चित्र से समझ सकते हैं की सोलर पैनल की पावर का उपयोग करके इलेक्ट्रोलाइजर पानी में से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अलग कर हाइड्रोजन को एक टैंक में स्टोर कर देगा। इसी हाइड्रोजन को इस्तेमाल कर फ्यूल सेल चार्ज होंगे। और इनवर्टर की मदद से हम इस ऊर्जा को इस्तेमाल कर अपने घर के उपकरणों को चला सकते हैं।
हाइड्रोजन सोलर पैनल की कीमत?
हाइड्रोजन को ऊर्जा क्षेत्र में इस्तेमाल करने को लेकर काफी सारे प्रयोग किए जा रहे हैं। कोशिश हो रही है कि उसे कैसे किफायती किया जाए। फिलहाल जो हाइड्रोजन सोलर प्लांट लगाए गए हैं वह सब इंडस्ट्रियल है। सुरक्षा और इसको लगाने की कीमत को देखते हुए इसका घरेलु प्रयोग नहीं हो रहा है।भारतीय मार्किट में अभी तक हाइड्रोजन सोलर पैनल की सही कीमत बताने वाला कोई विश्वसनीय सोर्स नहीं है। हालांकि काफी सारे YouTubers का कहना है कि इसकी कीमत रु 3 से 6 लाख के बीच में है। जो कि समय और तकनीक के साथ धीरे-धीरे कम हो जाएगी।